- जन्म: 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में।
- दक्षिण अफ्रीका प्रवास: 1893 में अब्दुल्ला का केस लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उनके
राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। वहाँ उन्होंने 'टॉलस्टॉय फार्म' और 'फिनिक्स फार्म' की स्थापना की।
- भारत वापसी: 9 जनवरी, 1915 को भारत वापस आए। इसी दिन
को अब 'प्रवासी भारतीय दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
- राजनीतिक गुरु: भारत आकर वे गोपाल कृष्ण गोखले से प्रभावित हुए और उन्हें अपना
राजनीतिक गुरु माना।
- प्रथम विश्वयुद्ध में भूमिका: भारत आने पर उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का
समर्थन किया और भारतीयों को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया, जिस कारण कुछ लोग उन्हें
'सेना में भर्ती करने वाला सार्जेंट' कहने लगे।
- उपाधि: सार्वजनिक सेवा में योगदान के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1915 में उन्हें 'कैसर-ए-हिंद' की उपाधि प्रदान की।
📰 गांधीजी के पत्र और पुस्तकें:
- दक्षिण अफ्रीका में 'इंडियन ओपिनियन' नामक पत्र निकाला।
- भारत में 'नवजीवन', 'यंग इंडिया' और 'हरिजन' जैसे पत्रों का संचालन किया।
- उनकी आत्मकथा 'माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ' (सत्य के प्रयोग) मूल
रूप से गुजराती में लिखी गई।
- 1909 में प्रकाशित पुस्तक 'हिंद स्वराज' में उन्होंने ब्रिटिश शासन
की आलोचना की।
- पृष्ठभूमि: उस समय बंगाल ब्रिटिश भारत का सबसे बड़ा प्रांत था, जो राष्ट्रीय आंदोलन का
केंद्र था। ब्रिटिश सरकार ने प्रशासन की सुविधा का बहाना बनाकर इसे कमजोर करने के लिए विभाजन का निर्णय
लिया।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 20 जुलाई, 1905: विभाजन के निर्णय की घोषणा हुई।
- 7 अगस्त, 1905: कलकत्ता के टाउन हॉल में स्वदेशी आंदोलन की
घोषणा हुई और 'बहिष्कार प्रस्ताव' स्वीकृत हुआ।
- 16 अक्टूबर, 1905: बंगाल विभाजन प्रभावी हो गया। इस दिन को 'शोक
दिवस' के रूप में मनाया गया।
- इस दौरान टैगोर का 'आमार सोनार बांग्ला' और बंकिम चंद्र चटर्जी का 'वन्दे मातरम्' लोकप्रिय गीत
बने।
- स्वदेशी आंदोलन और बहिष्कार: आंदोलन में विदेशी वस्तुओं, स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी सेवाओं
का बहिष्कार किया गया और स्वदेशी वस्तुओं तथा शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।
- मुस्लिम लीग की स्थापना (1906):
- 30 दिसंबर, 1906 को ढाका में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की
स्थापना की गई।
- संस्थापक: ढाका के नवाब सलीम उल्ला खान।
- प्रथम अध्यक्ष: वकार-उल-मुल्क।
- कांग्रेस का सूरत अधिवेशन (1907):
- 26 दिसंबर, 1907 को ताप्ती नदी के किनारे सूरत में संपन्न हुआ।
- बहिष्कार के तरीकों को लेकर नरम दल (जो इसे बंगाल तक सीमित रखना चाहते थे) और गरम दल (जो इसे
देशव्यापी बनाना
चाहते थे) में मतभेद बढ़ गए।
- विवाद का केंद्र अध्यक्ष पद था। गरम दल लाला लाजपत राय को और
नरम दल रासबिहारी घोष को अध्यक्ष बनाना चाहते थे।
- अंततः रासबिहारी घोष अध्यक्ष बने और कांग्रेस स्पष्ट रूप से दो गुटों में विभाजित हो गई।
- उद्देश्य: ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन स्वशासन (Dominion Status) की प्राप्ति।
- संस्थापक:
- बाल गंगाधर तिलक: अप्रैल 1916 में स्थापना की। उन्होंने अपने
'मराठा' (अंग्रेजी) और 'केसरी' (मराठी) पत्रों के माध्यम से प्रचार किया।
- एनी बेसेंट: सितंबर 1916 में अड्यार (मद्रास) में स्थापना की।
उन्होंने अपने 'न्यू इंडिया' (दैनिक) और 'कॉमनवील' (साप्ताहिक) पत्रों से स्वशासन की मांग की।
- चंपारण आंदोलन (1917):
- राजकुमार शुक्ल के कहने पर गांधीजी चंपारण गए।
- यह आंदोलन तिनकठिया प्रथा (किसानों को 3/20 भूमि पर नील की खेती करना अनिवार्य) के विरुद्ध था।
- इसकी सफलता पर टैगोर ने गांधीजी को 'महात्मा' की उपाधि दी।
- अहमदाबाद मिल-मजदूर आंदोलन (1918):
- मार्च, 1918 में मिल-मालिकों और मजदूरों के बीच 'प्लेग-बोनस' को लेकर विवाद हुआ।
- गांधीजी पहली बार आमरण अनशन (भूख हड़ताल) पर बैठे। अंत में मजदूरों को 35% बोनस मिला।
- खेड़ा आंदोलन (1918):
- अकाल के कारण फसल खराब होने के बावजूद भू-राजस्व वसूली के खिलाफ आंदोलन।
- रॉलेट एक्ट (1919):
- इसे 'बिना अपील, बिना वकील, बिना दलील' का कानून कहा गया और भारतीयों ने इसे 'काला-कानून' की संज्ञा दी।
- जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919):
- स्थानीय नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक सभा हुई।
- जनरल ओ. डायर ने भीड़ पर गोली चलवा दी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए।
- विरोध में टैगोर ने 'सर' की उपाधि और शंकरन नायर ने गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् से इस्तीफा दे दिया।
- कारण: प्रथम विश्वयुद्ध के बाद तुर्की साम्राज्य के विभाजन के विरुद्ध भारतीय
मुसलमानों का आंदोलन।
- गांधीजी का समर्थन: महात्मा गांधी ने इसे हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए एक सुनहरा अवसर
माना और इसका समर्थन किया।
- नेतृत्व: खिलाफत कमेटी का गठन अली बंधुओं (शौकत अली, मुहम्मद
अली), मौलाना आजाद, हकीम अजमल खान और हसरत मोहानी के नेतृत्व में किया गया।
- 17 अक्टूबर, 1919 को 'अखिल भारतीय खिलाफत दिवस' मनाया गया।
- प्रस्ताव: 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में
प्रस्ताव पारित किया गया।
- प्रमुख मुद्दे: (i) खिलाफत संबंधी सुधार, (ii) जलियाँवाला बाग हत्याकांड का न्याय, और
(iii) स्वराज की प्राप्ति।
- शुरुआत: गांधीजी ने 'कैसर-ए-हिंद' की उपाधि लौटाकर 1 अगस्त,
1920 को आंदोलन शुरू किया।
- चौरी-चौरा कांड: फरवरी 1922 में गोरखपुर के चौरी-चौरा गाँव में गुस्साई भीड़ ने एक
पुलिस थाने में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। इस हिंसक घटना के कारण गांधीजी ने 4 फरवरी, 1922 को आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी
- परिणाम: आंदोलन वापसी के बाद 10 मार्च, 1922 को अंग्रेजों ने गांधीजी को गिरफ्तार कर 6
वर्ष की सजा सुनाई।
- साइमन कमीशन (1927-28):
- सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में गठित इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, अतः इसे 'श्वेत कमीशन' कहा गया।
- 3 फरवरी, 1928 को इसके भारत आगमन पर 'साइमन वापस जाओ' के नारों के साथ पूर्ण बहिष्कार किया गया। लाहौर में विरोध के दौरान लाठीचार्ज में लाला लाजपतराय की मृत्यु हो गई।
- नेहरू रिपोर्ट (1928):
- भारत सचिव लॉर्ड बिरकेनहेड की संविधान निर्माण की चुनौती के जवाब में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति ने यह रिपोर्ट तैयार की।
- इसमें 'डोमिनियन स्टेट्स' को पहला लक्ष्य घोषित किया गया।
- शुरुआत: यह आंदोलन गांधीजी की प्रसिद्ध दांडी यात्रा
से आरम्भ हुआ।
- दांडी मार्च:
- गांधीजी ने 12 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 78
अनुयायियों के साथ यात्रा शुरू की।
- 240 मील की पैदल यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचकर
नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा।
- आंदोलन का प्रसार:
- तमिलनाडु में सी. राजगोपालाचारी ने त्रिचनापल्ली से वेदारण्यम
तक यात्रा की।
- पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में खान अब्दुल गफ्फार खाँ ('सीमांत
गांधी') ने नेतृत्व किया।
- धरसणा (गुजरात) में सरोजिनी नायडू ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व
किया।
- प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930): साइमन कमीशन पर चर्चा के लिए लंदन में आयोजित हुआ।
कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया।
- गांधीजी ने केवल द्वितीय सम्मेलन में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर और तेज बहादुर सप्रू ने तीनों सम्मेलनों में भाग लिया।
- गांधी-इरविन समझौता (मार्च 1931): वायसराय इरविन और गांधीजी के बीच एक समझौता हुआ,
जिसके तहत सरकार ने अहिंसक राजनीतिक कैदियों को रिहा करना और कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेना
स्वीकार किया।
- इसे 'दिल्ली समझौता' भी कहते हैं। तेज बहादुर सप्रू व जयकर ने मध्यस्थता की।
- इसके तहत कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हो गई।
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931): कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में गांधीजी ने
इसमें भाग लिया।
- तृतीय गोलमेज सम्मेलन (1932): कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया।
- पूना समझौता (24 सितंबर, 1932):
- सांप्रदायिक निर्णय के विरुद्ध गांधीजी के आमरण अनशन के बाद गांधीजी और अंबेडकर के बीच यह समझौता हुआ।
- इसमें हरिजनों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग वापस ले ली गई और संयुक्त निर्वाचन के सिद्धांत को स्वीकार किया गया।
- व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940):
- अगस्त प्रस्ताव के विरोध में यह 'दिल्ली चलो आंदोलन' भी कहलाया।
- प्रथम सत्याग्रही विनोबा भावे और द्वितीय सत्याग्रही जवाहरलाल नेहरु थे।
- क्रिप्स प्रस्ताव (1942):
- द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए स्टेफोर्ड क्रिप्स भारत आए।
- गांधीजी ने इसे 'उत्तर दिनांकित चेक' (Post Dated Cheque) कहा।
- भारत छोड़ो आंदोलन (अगस्त क्रांति, 1942):
- 8 अगस्त, 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक में गांधीजी ने 'करो या मरो' का नारा दिया।
- 9 अगस्त को 'ऑपरेशन जीरो ऑवर' के तहत सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए।
- इस आंदोलन के दौरान ऊषा मेहता ने मुंबई में भूमिगत रेडियो स्टेशन की स्थापना की।
- माउण्टबेटन योजना (3 जून, 1947):
- मार्च, 1947 में माउंटबेटन भारत आए और भारत विभाजन की योजना प्रस्तुत की।
- 15 अगस्त, 1947 को भारत व पाकिस्तान नाम के दो डोमिनियन राज्य अस्तित्व में आए।