- यह अधिनियम भारत के संवैधानिक विकास में एक मील का पत्थर था। भारतीय संविधान का अधिकांश हिस्सा इसी पर आधारित है।
- अखिल भारतीय संघ:
- एक अखिल भारतीय संघ की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया, जिसमें ब्रिटिश प्रांतों और उन रियासतों को शामिल होना था जो स्वेच्छा से शामिल होना चाहें। (हालांकि, रियासतों के शामिल न होने से यह प्रावधान कभी लागू नहीं हो सका)।
- प्रांतीय स्वायत्तता और केंद्र में द्वैध शासन:
- प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली को समाप्त कर दिया गया और उन्हें पूर्ण 'प्रांतीय स्वायत्तता' प्रदान की गई।
- द्वैध शासन प्रणाली को प्रांतों से हटाकर केन्द्र में लागू किया गया।
- शक्तियों का विभाजन:
- विधायी शक्तियों को केन्द्र और प्रांतों के बीच तीन सूचियों के माध्यम से विभाजित किया गया:
- 1. संघ सूची (Federal List): इसमें 59 विषय थे (जैसे रक्षा, विदेशी मामले, मुद्रा)।
- 2. प्रांतीय सूची (Provincial List): इसमें 54 विषय थे (जैसे पुलिस, स्थानीय शासन, कृषि)।
- 3. समवर्ती सूची (Concurrent List): इसमें 36 विषय थे (इस पर केंद्र और प्रांत दोनों कानून बना सकते थे)।
- अवशिष्ट शक्तियाँ वायसराय (गवर्नर जनरल) को दी गईं।
- संघीय संस्थाओं की स्थापना:
- संघीय न्यायालय (Federal Court): दिल्ली में एक संघीय न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया (जो 1 अक्टूबर, 1937 को स्थापित हुआ)।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): देश की मुद्रा और साख को नियंत्रित करने के लिए 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना की गई।
- द्विसदनीय विधानमंडल:
- 11 में से 6 प्रांतों (जैसे बंगाल, बॉम्बे, मद्रास, बिहार, असम और संयुक्त प्रांत) में द्विसदनीय विधानमंडल की व्यवस्था की गई।
- अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन:
- साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व का विस्तार करते हुए इसे दलित जातियों (अनुसूचित जातियों), महिलाओं और मजदूरों के लिए भी लागू किया गया।
- 1858 में स्थापित भारत परिषद् (Council of India) को समाप्त कर दिया गया।
- बर्मा (म्यांमार) को भारत से पूरी तरह अलग कर दिया गया।
- सिंध को बम्बई से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया।
💬 जवाहर लाल नेहरू ने इस अधिनियम को "अनेक ब्रेकों वाली, पर इंजन रहित मशीन" (a machine with strong brakes but no engine) तथा 'दासता का नया घोषणा पत्र' कहा था।