जैन धर्म

जैन धर्म
Note – महावीर ने 30 वर्ष की आयु में अपने माता पिता की मृत्यु के बाद अपने बडे भाई नंदिवर्धन से आज्ञा लेकर सन्यास जीवन को स्वीकारा
Note – 12 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद महावीर स्वामी को जाम्भिक ग्राम के नजदीक ऋजुपालिका नदी के किनारे साल के वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए सम्पूर्ण ज्ञान का बोध हुआ
Note – सम्पूर्ण ज्ञान के बाद महावीर जिन (विजेता), अर्हत (पूज्य) और निर्ग्रन्थ (बंधनहीन) कहलाए
Note – बाद में आकर जैन धर्म दो भागों में बँट गया (1) दिगम्बर (2) श्वेताम्बर
Note – भद्रबाहु के शिष्य दिगम्बर व स्थूलभद्र के शिष्य श्वेताम्बर कहलाऐ
Note – पांचवां व्रत ब्रह्मचर्य महावीर स्वामी ने जोड़ा
Note – जैन धर्म ईश्वर में विश्वास नहीं करता है
Note – जैन धर्म का आत्मा में विश्वास है
Note – महावीर पुनर्जन्म एंव कर्मवाद में विश्वास करते थे
Note – 72 वर्ष की आयु में महावीर की मृत्यु (निर्वाण) 468 ई. पू. में बिहार राज्य के पावापुरी (राजगीर) में हो गई